गणेश जी का विसर्जन दसवें दिन ही क्यों किया जाता हैं? और तुलसी पत्र वर्जित क्यों होता है?

हम सभी जानते हैं कि सत्य सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा होती हैं।
गणेश जी सुख समृद्धि के देवता माने जाते है जहां गणेश जी का वास होता है। वही लक्ष्मी जी और सरस्वती जी का भी वास होता हैं। सभी जानते हैं कि गणेश जी भोलेनाथ और माता पार्वती जी के पुत्र है इनका जन्म 
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। तबसे गणेश चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। इस साल यह 31 अगस्त को पड़ा है। वैसे तो हम अपने इच्छा शक्ति के अनुसार चतुर्थी के बाद किसी भी दिन विसर्जन कर सकते है। लेकिन ज्यादातर लोग चतुर्थी के दसवें दिन विसर्जन किया जाता है। तो आइए जानते है गणेश जी को तुलसी पत्र क्यों वर्जित हैं और क्यों दसवें दिन ही उनका विसर्जन किया जाता हैं उसके बाद क्यों नहीं।

तुलसी पत्र का वर्जित

गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग करना वर्जित माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी ने गणेश जी की तपस्या को भंग करके विवाह का प्रस्ताव दिया था। जिसे भगवान गणेश ने क्रोधवस अस्वीकार कर दिए। और तुलसी ने उन्हें दो विवाह करने का श्राप दे दिया। इससे क्रोधित होकर भगवान गणेश ने भी उन्हें राक्षस से शादी करने का शाप सुना दिया था। इस कारण भगवान गणेश की पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग नहीं कियाजाता है।

●महाभारत की रचना

 पुराणों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष को महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेशजी का आह्वान किया था। उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की। गणेश जी ने कहा कि मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं, यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा। तब व्यासजी ने कहा प्रभु आप विद्वानों में अग्रणी हैं और मैं एक साधारण ऋषि किसी श्लोक में त्रुटि हो सकती है, अतः आप बिना समझे और त्रुटि हो तो निवारण करते हुए श्लोक को लिपिबद्ध करें। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन ही व्यासजी ने श्लोक बोलना और गणेशजी ने महाभारत को लिपिबद्ध करना प्रारंभ किया था। 

●दसवें दिन विसर्जन

उसके बाद 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी को लेखन का कार्य समाप्त हुआ।जिससे दस दिनों में उनका शरीर जड़वत हो गया और शरीर पर धूल, मिट्टी की परत जमा हो गई, तब दस दिन बाद गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके अपने शरीर पर जमी धूल और मिट्टी को साफ किया। इसलिए गणेश चतुर्थी पर गणेशजी को स्थापित किया जाता है और 10 दिन मन, वचन कर्म और भक्ति भाव से उनकी उपासना करके अनंत चतुर्दशी को विसर्जित कर दिया जाता है।

○छत्रपति शिवाजी ने सबसे पहले गणेश चतुर्थी को सार्वजनिक समारोह आयोजित किए।
○भाऊसाहेब लक्ष्मण जवाले जी ने गणेश जी की प्रतिमा को सबसे पहले सार्वजनिक स्थान में स्थापित किया था।
○लोकमान्य तिलक जी ने ब्राह्मण और दुसरे जाती के लोगों के बीच का अंतर समाप्त करने के लिए सबसे पहले इस त्यौहार को एक निजी उत्सव से बदलकर एक सार्वजनिक उत्सव घोषित किया।जिससे की सभी लोग एक दुसरे के साथ मिलकर इस उत्सव को हर्ष उल्लाश से मनाएं. इससे उनके भीतर एकता की भावना जागृत हो जाए।
○भारत के महाराष्ट्र राज्य में सबसे बढ़िया ढंग से गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है।
○गणेश चतुर्थी का त्यौहार भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। जैसे Thailand, Cambodia, Indonesia, Afghanistan, Nepal और China ।




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