आरपीएन सिंह

आरपीएन सिंह एक साफ सुथरी छवि वाले भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। जिनके ऊपर एक भी केस दर्ज नहीं है। इनका विवादो से दूर तक कोई नाता नहीं होने के कारण लगातार तीन बार अपने गृह नगर पडरौना से विधायक और एक बार कुशीनगर से सांसद रह चुके हैं।आरपीएन सिंह भारत के पंद्रहवीं लोकसभा के मनमोहन सिंह सरकार में सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग राज्यमंत्री, भारत सरकार,पेट्रोलियम राज्य मंत्री व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री रहे हैं। 

●जन्म

        आरपीएन सिंह का पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है। इनका जन्म 25 अप्रैल 1964 को दिल्ली में हुआ। इनके पिता सीपीएन सिंह कुशीनगर से लोकसभा सांसद थे और माता मोहिनी देवी कांग्रेस से उपचुनाव लड़ चुकी हैं। वो 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा राज्यमंत्री भी रहे थे।
इन्हे राजा भैया और राजा साहेब के नाम से भी संबोधित किया जाता है।



●शिक्षा

     आरपीएन सिंह एक औसत विद्यार्थी थे। आरपीएन सिंह ने अपनी स्कूली पढ़ाई देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल, दून स्कूल से की। ये वही स्कूल है जहां से राजीव गांधी, राहुल गांधी, नवीन पटनायक जैसी शख्सियतों ने पढ़ाई की है।
                     दून स्कूल देहरादून

1982 में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से हिस्ट्री में बीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए आरपीएन सिंह अमेरिका चले गए लेकिन, इस दौरान उनके पिता की हत्या हो गई। इस कारण से वो पढ़ाई छोड़कर घर लौट आए।



●पत्रकार सोनिया वर्मा से विवाह

        सन् 2002 में आरपीएन सिंह ने दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद 7 दिसंबर 2002 को NDTV के पत्रकार सोनिया वर्मा से विवाह किया। आरपीएन सिंह और सोनिया सिंह के तीन बेटियां हैं। जिनका नाम क्रमश: यामिनी, सुहानी और रागिनी है। आरपीएन सिंह आपने फैमिली के साथ ज्यादातर पडरौना जगदीश गढ़ स्थित राज महल में ही रहते हैं। जो सन् 1911 में बना था। 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त दाखिल हलफनामे के मुताबिक, आरपीएन सिंह के पास 29.54 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
         आरपीएन सिंह की वाइफ सोनिया सिंह


●राजनीतिक सफर

      सीपीएन सिंह की निधन के बाद आरपीएन सिंह अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए राजनीति में जाने का निर्णय लिया। सन् 1990 में आरपीएन सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन कर राजनीतिक सफर शुरू की।
उन्होंने 1993 में पहली बार अपने गृह नगर पडरौना से विधानसभा चुनाव लडे और हार गए। 
फिर 1996 में दूसरी बार चुनाव लडे और जीतने के बाद। 1997 से 1999 तक उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं।
फिर 2002 में दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद 2003 से 2006 तक कांग्रेस के सचिव पद पर रहे। फिर 2007 में लगातार तीसरी बार चुनाव जीत कर 2009 में लोकसभा चुनाव में भी हाथ आजमाया और बसपा उम्मीदवार स्वामी प्रसाद मौर्य को लगभग 21000 वोटों से मात देकर सासंद भवन पहुंचे। मनमोहन सिंह के सरकार में वो सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग राज्यमंत्री, भारत सरकार,पेट्रोलियम राज्य मंत्री व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री रहे। 2010 में इनकी माता जी मोहिनी देवी को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के कारण हार गए।
        आरपीएन सिंह का पडरौना स्थित राज महल


●कांग्रेस से इस्तीफा बीजेपी ज्वाइन

      25 जनवरी 2022 को 12.37 मिनट पर आरपीएन सिंह ने एक ट्वीट किए।
जिसके बाद कांग्रेस में कोहराम मच गया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे बीजेपी को ज्वाइन कर लिए हैं।
आरपीएन सिंह का कांग्रेस छोड़ने के बाते तभी से शुरू हो गई थी। जब ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट और जितिन प्रसाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। क्योंकि ये चारो कांग्रेस पार्टी के अंदर गहरे दोस्त हैं। आरपीएन सिंह के इस्तीफे से एक दिन पहले कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की थी जिसमें आरपीएन सिंह का भी नाम था। उनके साथ ही 
कांग्रेस प्रत्याशी रहे मनीष जायसवाल ने भी इस्तीफा देते हुए कहा कि हमारे नेता आरपीएन सिंह हैं। जब वह कांग्रेस में नहीं रहेंगें तो हम भी उनके सम्मान में कांग्रेस पार्टी छोड़ रहे हैं। कांग्रेस उम्मीदवार बनने के बाद इस्तीफा देने के सवाल पर कहा कि मैं आरपीएन सिंह के सम्मान में ऐसा किया हूं। पूर्व जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने कहा कि जहा हमारे नेता आरपीएन सिंह का सम्मान नहीं हुआ तो वहां हम कैसे रह सकते हैं। जबसे अजय लल्लू प्रदेश अध्यक्ष बने हैं कुशीनगर पार्टी कार्यालय पर अब तक नहीं आए। आरपीएन सिंह सदा से ही अपनी साफ सुथरी छवि रखते हैं।














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