भारत का बंटवारा और आजादी ।



हम 15 अगस्त 2022 को अपना 75वा स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे है। 
इस आन्दोलन का आरम्भ 1857 के सिपाही विद्रोह से माना जा सकता है। जिसमें स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों की जान गई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1929 के लाहौर अधिवेशन में अंग्रेजों से पूर्ण स्वराज की माँग की। 
दिसम्बर 1929 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन लाहौर में हुआ। इस अधिवेशन का मुख्य प्रस्ताव 'पूर्ण स्वराज्य' का था। इस प्रस्ताव को पारित कर लाहौर में रावी नदी के तट पर 31 दिसम्बर 1929 को आधी रात को पहली बार भारत की स्वतंत्रता का झंडा फहराया गया।
कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को 'पूर्ण स्वाधीनता दिवस' मनाया और इसके बाद यह दिवस कांग्रेस द्वारा भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक प्रति वर्ष मनाया जाने लगा ।
भारत के ब्रिटिश शासकों ने हमेशा ही भारत में "फूट डालो और राज्य करो" की नीति का अनुसरण किया। उनकी कुछ नीतियाँ हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करती थीं तो कुछ मुसलमानों के प्रति। 20वीं सदी आते-आते मुसलमान हिन्दुओं के बहुमत से डरने लगे जिसके कारण सन् 1906 में ढाका में बहुत से मुसलमान नेताओं ने मिलकर मुस्लिम लीग की स्थापना की।
1930 में मुस्लिम लीग के सम्मेलन में प्रसिद्ध उर्दू कवि मुहम्मद इक़बाल ने एक भाषण में पहली बार मुसलमानों के लिए एक अलग राज्य की माँग उठाई फिर 1935 में सिंध प्रांत की विधान सभा ने भी यही मांग उठाई। मुहम्मद इक़बाल और मौलाना मुहम्मद अली जौहर ने मुहम्मद अली जिन्ना को इस मांग का समर्थन करने को कहा।
1940 के लाहौर मुस्लिम लीग सम्मेलन में जिन्ना ने साफ़ तौर पर कहा कि वह दो अलग-अलग राष्ट्र चाहते हैं।
हिन्दू महासभा जैसे हिन्दू संगठन भारत के बंटवारे के प्रबल विरोधी थे, लेकिन मानते थे कि हिन्दुओं और मुसलमानों में मतभेद हैं। 1937 में इलाहाबाद में हिन्दू महासभा के सम्मेलन में एक भाषण में विनायक दामोदर सावरकर ने कहा था - आज के दिन भारत एक राष्ट्र नहीं है, यहाँ पर दो राष्ट्र हैं-हिन्दू और मुसलमान।
मुस्लिम लीग ने अगस्त 1946 में सिधी कार्यवाही दिवस मनाया और कलकत्ता में भीषण दंगे किये।
20 फ़रवरी 1947 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ये घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को पूर्ण आत्म प्रशासन का अधिकार प्रदान करेगी। ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सरकार का राजकोष, हाल ही में समाप्त हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद खस्ताहाल था। अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख को आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है। उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख के रूप में, द्वितीय विश्व युद्ध, में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह 15 अगस्त को चुना।
ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया व ये भी घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा अंततः वो दिन आ ही गया जिसका सबको इंतजार था लेकिन बंटवारे ने सभी भारतीयों को गहरा आघात किया।
14 अगस्त 1947 को 11:57 बजे, पाकिस्तान एक भिन्न राष्ट्र घोषित हुआ, और मध्यरात्रि के तुरन्त बाद 15 अगस्त 1947 को 12:02 बजे भारत भी एक सम्प्रभु और लोकतान्त्रिक राष्ट्र बन गया। भारत पर ब्रिटिश शासन के अन्त के कारण, अन्ततः 15 अगस्त 1947 भारत का स्वतन्त्रता दिवस बन गया।
15 अगस्त 1947 को सुबह 11:00 बजे संघटक सभा ने भारत की स्वतंत्रता का समारोह आरंभ किया।
जय हिंद जय भारत 

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